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Friday, March 27, 2020

Lockdown लगने के बाद एक सफर स्टार्ट हुआ उन गरीब परिवारों के बीच...




सफर तो जिंदगी का हमेशा चलता रहता है कुछ सफर शौकिया होते हैं और कुछ सफर मजबूरी से होते हैं
हमारे देश भारत में लॉक डाउन के बाद एक सफर की शुरुआत होती है
Lockdown लगने के बाद एक सफर स्टार्ट हुआ उन गरीब परिवारों के बीच जो कहीं रोजी-रोटी के लिए किसी ने किसी राज्य में या ,  मेट्रो सिटी ,फैक्ट्री, में वर्क करते थे और वह लॉक डाउन उनकी वजह से अपने घर ना जा पाए, यह सफर उन लोगों का  है जो लॉक डाउन  के बाद पैदल ही सफ़र शुरू कर दिया अपने घर, अपनी मंजिल पर पहुंचने का क्योंकि अगर वहां रुकते तो वह खाए बिना मर जाते हैं, या उनके पास पैसे नहीं थे, अकेलापन था, शायद इसी की तलाश में यह सफर स्टार्ट हो जाता है मेट्रो सिटी से अपने गांव के लिए यह सफर डरावना भी है, मुश्किल भी है, भूख भी है, प्यास भी है, और ऊपर से प्रशासनिक अधिकारियों के सवाल-जवाब लाठी डंडा  से होकर गुजरता है सफर जिंदगी मौत का सफर हैं , उन सभी के लिए जो स्टार्ट कर चुके हैं ! वह बहुत बड़े लोग तो नहीं है वह मजदूर वर्ग है जिसके है जिसके पास रहने के लिए छत नहीं है वह आशियाना ढूंढते हुए अपने घर ,गांव को चल दिए शायद इसी आस में कि दो रोटी घर पर तो मिल ही जाएगी!
इन सभी लोगों को चलते देखकर सभी लोगों के मन में दया भाव तो आ जा रहा है कुछ लोग, कुछ को पानी, बिस्किट दे भी  रहे हैं लेकिन इनका यह सफर वही खत्म होगा जहां इनकी मंजिल है या घर पर पहुंच जाएंगे !
कुछ पुलिस प्रशासनिक अधिकारी कुछ सहायता तो कर दे रहे हैं लेकिन वह सहायता से केवल एक आस भर रही है न कि वह मंजिल को पा रहे हैं! लाचार ,बेबस ,तपती धूप में  कुछ नंगे पांव  , कंधे पर बोझ, बच्चे, औरतें सभी निकल पड़े हैं, भूख प्यास से लड़ते हुए अपने गांव के लिए ,जिंदगी की जद्दोजहद के साथ ! जहां पर उनको सुकून होगा अपनों के पास होने का, मौत को जीतकर पहुंचेंगे! 


समाज का एक संपन्न परिवार जो अपने घरों में कैद है बाहर नहीं जा पा रहा है , वह इन मार्मिक दृश्य को केवल सोशल साइट्स, न्यूज़ चैनल पर देख रहे हैं  शायद वह कुछ सहायता करना चाहते हो किंतु तालाबंदी की वजह से कठपुतली की तरह देख सकता ! क्योंकि सफर उनका है, उन्हें चलना होगा मौत को जीतकर खड़ा होना होगा.
क्योंकि 70 साल के इतिहास में कभी हमारे यहां ट्रेन बंद  नहीं हुई , इस कोरोना वायरस  ने जिंदगी पर लगाम लगा दिया और यह फैसला भी जरूरी था कि लोग बचे , किंतु दूसरी तरफ भूख, बेबसी अपनों से दूर, तनहाई, खाने को ना होना, यह भी एक मार्मिक दृश्य इस समाज में उभरकर सबके सामने आया! 

मनुष्य जाति की विकास यात्रा को कोरोना वायरस ने कुछ पल के लिए रोक दिया है, उसके बाद जो मनुष्य सोचेगा इस यात्रा को लेकर तो उसे ध्यान देना होगा कि हमने प्रकृति के साथ कितना खेला है!
आज का यह सफर बहुत ही मार्मिक होते हुए भी, जो लोग अपने आप पर विजय पाएंगे भविष्य में इसी दृश्य को बताकर जिंदगी का वह मजा लेंगे और कहेंगे कि हमने वह देखा है! यह  यात्रा इतिहास में दर्ज होने वाली यात्रा है !

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