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Saturday, November 7, 2020

Rock Painting Ghurahupur/Buddhist temple in Ghurahupur, chanduali, Uttar Pradesh

 Buddhist temple in Ghurahupur, Chandauli, Uttar Pradesh

 इस पहाड़ी पर एक बार आज ही घूमे ,वाराणसी से 60 से 65 किलोमीटर दूरी पर स्थित है |

महात्मा बुद्ध जब  बौद्ध गया से सारनाथ वाराणसी के लिए चले थे, तो इसी स्थान  धुरहूपुर जो आज रॉक पेंटिंग के लिए मशहूर है, उसी स्थान पर महात्मा बुद्ध ने विश्राम किया था तभी से यह स्थान पूजनीय और बंदनी हो गया |


आज भी श्रद्धालु इस भूमि पर उपस्थित होकर भगवान महात्मा बुद्ध की प्रतिमा के सामने पूजन अर्चन करते हैं , प्राकृतिक दृश्य से यह स्थान अति सुंदर पहाड़ों पर है यहां घूमने में जो आनंद मिलता है वह कहीं नहीं है, 


बहुत ही खजानो व रहस्यों को समेटे  घूरहुपुर चंदौली उत्तर प्रदेश की राज देवा की पहाड़ी अब बौद्ध  पहाड़ी के रूप में अपनी पहचान बनाती जा रही है उक्त स्थल की खोज 9 वर्ष पूर्व हुई पाषाण स्थापत्य शैली से जुड़ी नक्काशीदार मूर्तियां ,शिलाए ,हथियार पहाड़ों में बहुतायत मिलती है ,खंडित प्रतिमाएं भी मौजूद है ऐतिहासिक धरोहर की राह में यह मूर्तियां यह बताती है कि यहां कभी घनघोर जंगल हुआ करता था जिसमें बौद्ध अनुयाई तपस्या लिन रहते थे ,हजारों वर्ष पूर्व यहाँ आनेवाले वाली इन्हीं अनुयायियों ने इन चित्रों को रेखांकित किया होगा पहाड़ियों के शिखर पर मानव निर्मित प्रतिमाएं देखने को मिलती है पाषाण प्रतिमा जो मिली थी उसके बारे में ग्रामीणों का कहना है कि    अदृश्य शक्ति/ ईश्वरी शक्ति का वास है इसी कारण यहां पर पूजन अर्चन दर्शनार्थियों द्वारा किया जाता है

 

विंध्य पर्वत मालाओं पर रॉक पेंटिंग इतिहास को दृष्टिगत रखते हुए अपनी पहचान बनाए हुई है कहते हैं कि इस घनघोर पर्वत में वन्यजीवों के अतिरिक्त आदिमानव भी रहा करते थे इनकी उपस्थिति उन क्षेत्रों में विभिन्न स्थानों में पाए गए प्रागैतिहासिक काल की राक पेंटिंग से स्पष्ट होता है|

 इसे आमजन  भित्ति चित्र के रूप में जानते हैं, इस वन में शिलाजीत जैसे औषधियां पाई जाती हैं , भृंगराज, सफेद मूसली, सतावर, गुड़मार, हरसिंगार,कालमेघ, सर्पगंधा, बहुमूल्य दुर्लभ औषधियां विद्यमान है |

काशी वन्य जीवन प्रभाग के अंतर्गत यह वन भूमि अपनी पौराणिक ऐतिहासिक व पुरातत्विक प्रासंगिकताओं को सजाये हुए हैं |

 यहां पर जब भी आप घूमने का विचार करें तो अकेला ना जाए ग्रुप में जाएं वैसे तो आमजन के लिए कोई दिक्कत नहीं है लेकिन थोड़ा नक्सल प्रभावित होने के कारण अपनी सुरक्षा स्वयं करें|






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