महापंडित’ के नाम से विख्यात राहुल सांकृत्यायन जन्मदिन है- (9 अप्रैल 1893-14 अप्रैल 1963) वह सही मायने में एक यात्री थे. उन्होंने पूरे हिन्दुस्तान की यात्राएं तो की ही. योरोप, सोवियत रशिया, लंका आदि कई अन्य देशों की यात्राएं भी कीं.
हिन्दी के अतिरिक्त अंग्रेजी, पालि, प्राकृत, अपभ्रंश, तिब्बती, भोजपुरी, चीनी, जापानी आदि भाषाओं के साथ-साथ लगभग 25 देशी-विदेशी भाषाओं के जानकार थे!
बौद्ध धर्म के प्रभाव में उन्होंने अपना नाम केदार नाथ पांडे से बदलकर ‘राहुल’ रखा!
घुमक्कड़-धर्म सार्वदेशिक विश्वव्यापी धर्म है. इस पंथ में किसी के आने की मनाही नहीं है, इसलिए यदि देश की तरुणियां भी घुमक्कड़ बनने की इच्छा रखें, तो यह खुशी की बात है!
कोलम्बस और वास्को डि गामा दो घुमक्कड़ ही थे, जिन्होंने पश्चिमी देशों के आगे बढ़ने का रास्ता खोला। अमेरिका अधिकतर निर्जन सा पड़ा था। एशिया के कूपमंडूक को घुमक्कड़ धर्म की महिमा भूल गयी, इसलिए उन्होंने अमेरिका पर अपनी झंडी नहीं गाड़ी। दो शताब्दियों पहले तक आस्ट्रेलिया खाली पड़ा था। चीन भारत को सभ्यता का बड़ा गर्व है, लेकिन इनको इतनी अक्ल नहीं आयी कि जाकर वहाँ अपना झंडा गाड़ आते।
आज भी हमारे यहां घुमक्कड़ स्वभाव का यह हाल है कि अगर हमारे देवी- देवता ,पहाड़ों पर या हिमालय में या उत्तराखंड में या हरिद्वार , काशी , कन्याकुमारी ,रामेश्वरम में अगर नहीं बसे होते तो हमारे देश की बहुत बड़ी आबादी घूमने को निकलती ही नहीं !
Nice line
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